नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा: जानिए मंत्र और प्रार्थना


नवरात्रि का जश्न: चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा का महत्व


नवरात्रि, जिसे विशेष आनंद और भक्ति के साथ मनाया जाने वाला नौ-रात्रि लंबा त्योहार है, दुनिया भर के हिन्दू लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। इस महोत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा भगवानी दुर्गा के रूप में दिव्य नारी की पूजा में समर्पित है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी के एक विभिन्न प्रतिकृति का समर्पण किया जाता है, और चौथे दिन, भक्त भगवानी मां कूष्माण्डा की पूजा करके उनका सम्मान करते हैं। इस लेख में, हम नवरात्रि के चौथे दिन के महत्व को जानेंगे, मां कूष्माण्डा की पूजा के साथ जुड़े रस्म, मंत्र, और प्रार्थनाओं के बारे में जानेंगे, और इसके पीछे के गहरे आध्यात्मिक अर्थ की खोज करेंगे।




नवरात्रि का चौथा दिन: मां कूष्माण्डा की दिव्य प्रकाश


नवरात्रि के चौथे दिन, मां कूष्माण्डा, देवी दुर्गा की चौथी प्रतिकृति, की पूजा की जाती है। वह अक्सर एक बाघ पर बैठकर और आठ हाथों वाली दिखाई देती है, जिसमें विभिन्न दिव्य अस्त्र और माला होती हैं। नाम 'कूष्माण्डा' तीन शब्दों से लिया गया है: 'कू' (छोटा), 'उष्मा' (ऊर्जा), और 'अण्डा' (ब्रह्मांड अंडा) से। इन्हें मिलाकर, यह दुर्गा जी के अंदर ब्रह्मांड के स्रष्टा को दर्शाता है, जो दुनिया को ऊर्जा और प्रकाश देते हैं।


मां कूष्माण्डा का विश्वास है कि वह अपने भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य, शक्ति, और पुष्टि देती हैं। उनकी बेहद प्रकाशमयी मुस्कान कहा जाता है कि अंधकार को दूर करके उनके भक्तों के जीवन में प्रकाश लाती है। मां कूष्माण्डा की पूजा उनकी दिव्य कृपा की खोज करने का एक अवसर है, प्रार्थना करने का और उनकी आशीर्वाद मांगने का।


 रस्में और भेंटें


मां कूष्माण्डा की पूजा साफ और पवित्र मन से शुरू होती है। भक्त जागते हैं, स्नान करते हैं, और पूजा से पहले साफ कपड़े पहनते हैं। नांव अंग में कूष्माण्डा की पूजा के लिए आवश्यक रस्मों और भेंटों के निम्नलिखित तरीके हैं:


1. **कलश स्थापना**: 

जैसे कि नवरात्रि के अन्य दिनों में, पहला कदम कलश की स्थापना करने का होता है, जो देवी की उपस्थिति का प्रतीक होता है।


2. **दीप प्रज्वलन**:

 घी से दीप प्रज्वलित करना आपके घर में दिव्य ऊर्जा को आमंत्रित करने का एक तरीका होता है।


3. **भेंटें**:

 भक्त भगवानी कूष्माण्डा को भक्ति का प्रतीक मानकर, फल, फूल, और मिष्ठान देते हैं।


4. **मंत्र जाप**:

 मां कूष्माण्डा की पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करना महत्वपूर्ण होता है। मां कूष्माण्डा के समर्पित किए जाने वाले मंत्रों में से एक मंत्र "ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः" है।


 समापन


नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा उनके भक्तों के लिए आशीर्वाद और सुख का स्रोत है। इस दिन को मां कूष्माण्डा की अनुपम महिमा का आदर करने और उनके प्रति अपनी श्रद्धा का प्रकटीकरण करने का मौका माना जाता है।


इस नवरात्रि, मां कूष्माण्डा की पूजा करके हम उनके दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति का अवसर देख सकते हैं, प्रार्थनाएँ करके और उनके आशीर्वाद की मांग करके।

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